मंगलवार, 27 नवंबर 2018

प्राथमिक विद्यालय बोडिया अनंत- मिजेल्स रुबैला टीकाकरण अभियान की जनजागरूकता रैली

 आज दिनांक 27/11/2018 को प्राथमिक विद्यालय बोडिया अनन्त में मिजेल्स रुबैला के टीकाकरण अभियान के लिए जनजागरूकता रैली निकाली गई. छात्रों एवं अध्यापको ने पूरे गाँव में भ्रमण करके ग्रामवासियों को मिजेल्स और रूबेला के संभावित खतरे के बारे में आगाह किया और सबको टीकाकरण अभियान में बढ़ चढ़कर भाग लेने के लिए प्रेरित किया. रैली का नेतृत्व कक्षा के छात्र एवं हेड ब्वाय दीपक तथा विद्यालय की हेड गर्ल  शिवांगी ने किया। इस अवसर पर प्रधानाध्यापिका श्रीमती मृदुला मिश्रासहायक अध्यापिका श्रीमती प्रियंका यादवश्री आशुतोष भूषण सिंह ,नीलम सिंहअंजू यादवसरोज यादव आशुतोष नाथ तिवारी आदि उपस्थित रहे।

शनिवार, 3 नवंबर 2018

अध्यापको के घर जलाए जायेंगे छात्रों के बनाये दीपक

 


दीपावली के अवसर पर प्राथमिक विद्यालय बोडिया अनंत के छात्रों ने खेत से मिट्टी एकत्रित कर परिसर में 251 मिट्टी के दीपक बनाये। इन दीपको को उन्होंने अध्यापकगण की सहायता से एक अस्थाई आग की भट्ठी बना कर पकाया और फिर पके हुए दीप पर चित्रकारी करके अपने हुनर का प्रदर्शन किया । इन दियों को उस विद्यालय की प्रधानाध्यापिका,अध्यापको एवं स्किल डेवलपमेंट कार्यक्रम में शामिल अन्य विद्यालय के अध्यापकों ने खरीद लिया इस प्रकार 251 दिए अध्यापकों को भेंट करके छात्रों ने लगभग ₹1000 एकत्रित किए जिससे वह अपने पसंद के कुछ खिलौने ले आएंगे।।
इस प्रोफेशनल वातावरण में हर स्किल डेवलपमेंट या एक्टिविटी का अंतिम लक्ष्य बच्चों को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाना ही है और मुझे खुशी है कि आज मेरे छात्रों ने अपने स्किल को दिखाते हुए स्वावलंबी बनने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाया है।
आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं।


आशुतोष नाथ तिवारी 
सहायक अध्यापक 
 

शुक्रवार, 2 नवंबर 2018

पुस्तकालय के बारे में क्या कहता है एनसीएफ़ ?

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा-2005 विद्यालय में पुस्तकालय को सक्रिय बनाने का सुझाव देती है। इसके अनुसार, “सप्ताह में एक घंटा पुस्तकालय अध्ययन को दिया जा सकता है। नयी किताबें ले जाएँ। यदि विद्यालय में पुस्तकालय कक्ष नहीं है तो शिक्षक बच्चों की रूचि के अनुसार किताबें ला सकते हैं और उन पुस्तकों के संग्रह में से बच्चों को अपने पसंद की किताबें चुनने के लिए कह सकते हैं। यह आवश्यक है कि बच्चे स्वयं पुस्तकें चुने न कि शिक्षक पुस्तकें बाँटें।”
इस समय के दौरान बच्चे पुस्तकालय में बैठें और शांति से पढ़ें। वे पिछले सप्ताह ली गई किताबों को लौटा दें और

सक्रिय पुस्तकालय के लिए जरूरी है तैयारी

उपरोक्त संदर्भ में कुछ व्यावहारिक बातें जोड़ी जा सकती हैं कि पुस्तकालय में शिक्षक की भूमिका और तैयारी को निष्क्रिय मानकर नहीं चलना चाहिए। इसकी बजाय उनकी भूमिका और तैयारी को भी सक्रिय पुस्तकालय की एक अनिवार्य जरूरत के रूप में देखा जाना चाहिए।
स्तकालय के एक प्रशिक्षण में शिक्षकों ने अपनी भूमिका के संदर्भ में लिखा, “एक शिक्षक का अपने पुस्तकालय में मौजूद किताबों के बारे में जानकारी होना और उन किताबों का नियमित अध्ययन करना जरूरी है। तभी वे बच्चों को किताबें पढ़ने के लिए प्रेरित कर सकेंगे और ऐसे बच्चों की भी मदद कर सकेंगे जो शुरूआती स्तर पर नई किताबों के चुनाव में परेशानी महसूस करते हैं। इसके साथ ही अपने लिए एक लक्ष्य निर्धारित करना भी जरूरी ताकि शिक्षक हर सप्ताह या मासिक तौर पर होने वाली कुल पठन गतिविधियों और बच्चों द्वारा किताबों के लेन-देन की वास्तविक स्थिति के बारे में जानकर उसका विश्लेषण कर सकें और भविष्य में बेहतरी के लिए बिंदुओं को रेखांकित कर सकें।”

भाषा शिक्षण में मददगार हैं पुस्तकालय

राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा- 2005 पुस्तकालय को भाषा शिक्षण के लिए मददगार मानती है। इसी संदर्भ में एनसीएफ़-2005 के दस्तावेज़ के अनुसार, “भाषा की कक्षा में पुस्तकालय की किताबें लाई जा सकती हैं। प्रोजेक्ट या परियोजना कार्य के माध्यम से बच्चों को पुस्तकालय से संदर्भ सामग्री का अध्ययन करने के लिए कहा जा सकता है। बच्चों से भाषा कालांश के दौरान पिछले सप्ताह पढ़ी गई किताबों के बारे में लिखने के लिए कहा जा सकता है। बच्चों को पुस्तकालय में पढ़ी गई कहानियों को अपने शब्दों में सुनाने के लिए कहा जा सकता है।”

उपरोक्त संदर्भ में पुस्तकालय के बारे में एक शिक्षक प्रशिक्षक कहते हैं, “बच्चों के लिए मुखर वाचन या रीड अलाउड करना एक बेहद प्रभावशाली गतिविधि है। इसका बच्चों के ऊपर बड़ा सकारात्मक असर पड़ता है। बच्चों को ध्यान से सुनने, सुनकर समझने और सुनी हुई कहानी पर होने वाली चर्चा में जवाब देने का प्रशिक्षण मिलता है। यह बच्चों को मुखर बनाता है। पहली से पाँचवीं कक्षा तक के सभी बच्चों के लिए मुखर वाचक एक बेहद प्रभावशाली व सहजता के साथ होने वाली गतिविधि है।”

साभार- एजुकेशन मिरर