प्रशिक्षण का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिमा का माल्यार्पण एवं बालिकाओं द्वारा सरस्वती वंदना तथा स्वागत गीत की प्रस्तुति के साथ हुआ। प्रशिक्षण में SMC की भूमिका, अधिकारों और दायित्वों पर विस्तार से चर्चा की गई। सदस्यों को बताया गया कि विद्यालय प्रबंध समिति का गठन निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 एवं उत्तर प्रदेश निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियमावली, 2011 के तहत किया जाता है। समिति में 11 अभिभावक सदस्यों समेत कुल 15 सदस्य होते हैं।
प्रशिक्षण के प्रमुख बिंदु:
✔ विद्यालय संचालन और प्रबंधन में SMC की भूमिका।
✔ विद्यालय विकास योजना का निर्माण और कार्यान्वयन।
✔ शिक्षकों और विद्यार्थियों की उपस्थिति व शैक्षणिक गुणवत्ता की निगरानी।
✔ मिड-डे मील योजना की नियमितता और गुणवत्ता सुनिश्चित करना।
✔ विद्यालय को बेहतर बनाने के लिए अभिभावकों एवं समुदाय की सहभागिता बढ़ाना।
कार्यक्रम में विद्यालय के सर्वांगीण विकास पर विशेष चर्चा हुई और अभिभावकों के सुझाव लिए गए। अभिभावकों ने
विद्यालय में आधारभूत सुविधाओं, बच्चों की उपस्थिति और शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर अपने विचार रखे। सदस्यों ने संकल्प लिया कि वे विद्यालय के विकास और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए मिलकर कार्य करेंगे।कार्यक्रम का सञ्चालन सहायक अध्यापक आशुतोष भूषण सिंह ने किया . प्रधानाध्यापिका श्रीमती मृदुल मिश्रा ने बताया की विद्यालय प्रबंध समिति शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। माता-पिता और समुदाय की भागीदारी से बच्चों की शिक्षा को अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। हम सभी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चे समिति के सदस्यों को नियमित बैठकें कर विद्यालय के विकास की योजनाएँ बनें और उसका क्रियान्वयन हो ।शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत प्रत्येक बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, यह हमारी प्राथमिकता है। विद्यालय प्रबंध समिति के इस प्रशिक्षण से सभी सदस्यों को अपने दायित्वों को समझने और उन्हें प्रभावी ढंग सेनिभाने की प्रेरणा मिली।यह समिति विद्यालय को सुचारु रूप से संचालित करने के साथ-साथ शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।